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ज्ञान, कर्म, और कर्ता के तीन प्रकार || आचार्य प्रशांत, सांख्य योग पर (2013)

2019-11-27 10 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१० जून २०१३<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~<br /><br />नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम्।<br />अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते ।।<br />(अध्याय १८ श्लोक २३)<br /><br />मुक्तसङ्गोऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वितः।<br />सिद्ध्यसिद्ध्योर्निर्विकारः कर्ता सात्त्विक उच्यते।।<br />(अध्याय १८ श्लोक २६)<br /><br />रागी कर्मफलप्रेप्सुर्लुब्धो हिंसात्मकोऽशुचिः।<br />हर्षशोकान्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः।।<br /><br /><br /><br /><br />(अध्याय १८ श्लोक २७)<br /><br />अयुक्तः प्राकृतः स्तब्धः शठो नैष्कृतिकोऽलसः।<br />विषादी दीर्घसूत्री च कर्ता तामस उच्यते।।<br /><br /><br /><br /><br />(अध्याय १८ श्लोक २८)<br />~ भागवत गीता<br /><br />मन के बहुतक रंग है,<br />छिन छिन बदले सोय ।<br />एक रंग मे जो रहे,<br />एैसा बिरला कोय ॥<br />~ गुरु कबीर<br /><br />प्रसंग:<br />सात्विक ज्ञान क्या होता है?<br />सात्विक ज्ञान ऐहसास कैसे हों?<br />प्रकृति में कितने तरह के ज्ञान होते है?<br />सतयुग क्या है?<br />तत्वबोध को कैसे समझें?<br />सात्विक अहंकार क्या है?<br />कर्म के तीन प्रकार क्या होते हैं?<br />सात्विक, राजसिक और तामसिक कर्ता के क्या-क्या लक्ष्ण होते हैं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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